कुआलालंपुर। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि रिजर्व बैंक को मलयेशिया में इस्लामिक बैंकिंग व्यवस्था से सीख लेनी चाहिए। रिजर्व बैंक पर भारत में इस तरह की व्यवस्था शुरू करने का दबाव है। मालूम हो कि इस्लामिक बैंकिंग ब्याज मुक्त बैंकिंग व्यवस्था है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत मलयेशिया में इस्लामिक बैंकिंग से कुछ सीख लेना चाहेगा मनमोहन ने कहा, इस्लामिक बैंकिंग के प्रयोग को लेकर समय-समय पर मांग उठती रही है। मैं निश्चित तौर पर रिजर्व बैंक से सिफारिश करूंगा कि मलयेशिया में इस संबंध में क्या हो रहा है, वह इस पर नजर डाले। मलयेशिया के दौरे पर कुआलालंपुर पहुंचे मनमोहन ने इससे पहले मलयेशियाई प्रधानमंत्री मोहम्मद नजीब तुन अब्दुल रज्जाक के साथ आर्थिक एवं रणनीतिक मामलों परविस्तृत बातचीत की। अमर उजाला ( हिंदी दैनिक समाचार पत्र ) ब्रहस्पतिवार, 28 ,अक्तूबर 2010 |
Saturday, October 30, 2010
PM to seek RBI’s views on Islamic banking
इस्लामिक बैंक से सीख ले रिजर्व बैंक -PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
10 टिप्पणियाँ:
ताज़ा पोस्ट का लुत्फ़ उठाते हुए जब मैंने कमेन्ट्स पर नज़र डाली तो मेरा मन ख़राब हो गया। किसी ने ‘सुनील‘ के नाम से दिव्या बहन जी के लिए बहुत फहश कर रखी थी। मैं उस की इस हरकत से इतना दुखी हुआ कि मैं उसके ब्लाग पर भी नहीं गया। लेकिन यह देखने के लिए दिव्या बहन के ब्लाग पर गया कि आखि़र यह बहन कौन हैं ? और कोई बदबख्त आखि़र उनसे खफ़ा क्यों है ?
मैं दिव्या जी से इल्तमास करूंगा कि इस तरह के तंज़ सिर्फ़ हौसला शिकनी के लिए किए जाते हैं। अपना हौसला टूटने मत देना। मैं आपके साथ हूं , हम आपके साथ हैं और ऐसे ही साथ नहीं हैं बल्कि अपने पूरे ‘साधनों‘ के साथ आपके मददगार हैं। आप खुश रहें। आप खुश रहेंगी तो आपके दुश्मन ज़रूर दुखी रहेंगे। खुदा आपको अपनी अमान में रखे , आमीन या रब्बल आलमीन ! http://sunehribaten.blogspot.com/2010/10/blog-post.html
यह पोस्ट भी इस्लामी बैंकिंग पर है .
http://eduployment.blogspot.com/2010/10/blog-post_2188.html
पहला मत
देश में इस्लामिक बैंकिंग शुरू करने की बात प्रधानमंत्री के मलयेशिया दौरे में एक बार फिर उठी है। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि वह आरबीआई से भारत में इस्लामिक बैंकिंग की मांग पर गौर करने के लिए कहेंगे। रिजर्व बैंक के मौजूदा नियमों के तहत फिलहाल देश में इस तरह की बैंकिंग नहीं हो सकती। शरीयत के कानूनों के मुताबिक धन पर ब्याज कमाना हराम है, इसलिए मजहबी मुसलमान अपना पैसा बैंकों में डालने से परहेज करते हैं। उन्हें बैंकिंग से जोड़ने के लिए इस्लामिक बैंकिंग का रास्ता निकाला गया जिसमें ब्याज की जगह मुनाफे में हिस्सेदारी का प्रावधान है। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के मौजूदा प्रावधानों में संशोधन करके देश में ऐसी बैंकिंग की शुरुआत हो सकती है। बल्कि केरल में इस तरह की एक कोशिश हो चुकी है।
केरल स्टेट इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन ने प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाया था। केरल सरकार का प्रस्ताव था कि शरीयत बोर्ड यह तय करे कि बैंक प्राप्त हुए धन का निवेश कहां करे और फिर इस निवेश से मिले मुनाफे को जमाकर्ताओं में बांट दिया जाए। लेकिन इसका विरोध हुआ और बात आगे नहीं बढ़ सकी। इस्लामिक बैंकिंग से भारत खास तौर पर खाड़ी और मध्य पूर्व के देशों से अरबों डॉलर का निवेश खींच सकता है। दुनिया में करीब 500 इस्लामिक बैंकों के जरिए सालाना 1000 अरब डॉलर का कारोबार होता है। 2020 तक इसके 4000 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अगर देश में इस्लामिक बैंकिंग की खिड़की खोली जाती है तो इस विशाल पूंजी का कुछ हिस्सा इधर भी आ सकेगा(नवभारत टाइम्स का आधिकारिक मत)।
दूसरा मत
हमारे देश में इस्लामिक बैंकिंग की जरूरत सिर्फ विदेशों, खास तौर पर मुस्लिम देशों से भारी मात्रा में पूंजी लाने के लिए ही नहीं, अपने देश में मौजूद 15 करोड़ मुसलमान आबादी को बैंकिंग से जोड़ने के लिए भी जरूरी है। अभी मुसलमान अपनी धार्मिक मान्यताओं के तहत अपना पैसा बैंकों को नहीं देता है, लेकिन वह धन हमारे इस्लामिक बैंकों के पास आ सकता है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक हमारे देश में इसके बारे में नहीं सोचा गया, जबकि ऐसी बैंकिंग अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और हांगकांग सहित कई दूसरे देशों में हो रही है। हमारे देश में जो नॉर्मल बैंकिंग हो रही है वह असेट बेस्ड बैंकिंग है। इस तरह की बैंकिंग में शेयर, डिबेंचर आदि का ट्रांसफर नहीं होता। इसमें जमा धन पर ब्याज देने और दिए गए कर्ज पर ब्याज लेने का नियम है। इस्लामिक बैंकिंग में ब्याज की कोई जगह नहीं है। वहां न कोई लेनदार है, न कोई देनदार। जो व्यक्ति बैंक को पैसा देता है, वह उसका पार्टनर बन जाता है और बैंक को हुए मुनाफे में उसे हिस्सा मिलता है। देश में इस तरह की बैंकिंग शुरू करने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी ही मुख्य बाधा है। इसकी इजाजत देकर पॉलिटिकल पार्टियां हिंदू वोट बैंक की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहतीं। बहरहाल, अब यदि प्रधानमंत्री ऐसा कह रहे हैं, तो यह एक सार्थक संकेत है(रवि किशोर, ऑनरेरी सेक्रेटरी, इंडो-अरब कोऑपरेटिव फोरम)।
(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,30.10.2010)
दिव्या जी की इज्ज़त पर कीचड़ उछालने वाला देर सवेर ज़रूर पकड़ा जायेगा .
वह दिन उसकी जिल्लत का दिन होगा .
लोग थूकेंगे उस पर .
मैं दिव्या जी का प्रशंसक हूँ , मैं भी उनके साथ हूँ , पहले दिन से जब से उन्होंने अपील की .
good job .
पाकिस्तानी मुस्लिम गुलशन की गवाही
http://www.youtube.com/watch?v=p4x4qchBBGg&feature=related
.
.
.
पाकिस्तानी मुस्लिम गुलशन की गवाही
http://www.youtube.com/results?search_query=Gulshan+Esther+&aq=f
.
.
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा , आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें. यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे ....
भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
डंके की चोट पर
Post a Comment
कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय संयमित भाषा का इस्तेमाल करे। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी। यदि आप इस लेख से सहमत है तो टिपण्णी देकर उत्साहवर्धन करे और यदि असहमत है तो अपनी असहमति का कारण अवश्य दे .... आभार