Tuesday, October 12, 2010

who will give the ideal concept of Dharma for society ? तारकेश्वर गिरी जी ! समाज बदलता रहता है क्या धर्म भी बदलता रहता है ? - Ejaz

हिमाचल और कश्मीर से घट कर नहीं हैं आप
@ सुज्ञ जी !
आपके निर्मल हृदय से निकले उदगार,
देख, अच्छा लगा, आभार,
१. तीर्थंकरों की वाणियों में विरोधाभास नहीं है और वे आपके पास सरंक्षित भी हैं . इतना बड़ा खज़ाना आप दबाये बैठे हैं कम से कम हमें देते न तो दिखा ही देते. मानव कल्याण के लिए इतना फ़र्ज़ तो आपका बनता ही है ?
२. आपके आने से हमारी सभा में ताज़गी और रवानी आती है, इसलिए आपका हम स्वागत सदा करते हैं. अरुणाचल और कश्मीर से भी ज़्यादा बढ़कर आप अखंड हिस्सा हैं हमारे बौधिक परिवार का. आप आइये हमारे ब्लॉग पर, हमारे घर में, स्वर्ग में , और उससे पहले आप बने हुए ही हैं हमारे दिल में ।
 Most Welcome
भारतीय संस्कृति मानती है कि मौत का समय निश्चित है
@ रविंदर जी !
१. आपकी बात से पता चला कि आपको कुरआन के प्रति मोह था ही नहीं बल्कि मात्र जिज्ञासा थी जो पूर्वाग्रह की वजह से गुमराही में बदल गयी ।  इसके निराकरण के लिए स्वामी जी से जल्दी मिलिये ।
२. किस देवी का अपमान कर दिया डा. साहब ने बताएं ?
३. आपने कहा कि डा. साहब गाँव में रहते हैं, और भारत की आत्मा भी गांव में ही बस्ती है। जहाँ आत्मा है वहीं परमात्मा भी है, तो क्या आप यह कहना चाहते हैं कि डा. साहब परमात्मा तक पहुँचने का साधन हैं ?
४. भारतीय संस्कृति मानती है कि मौत का समय निश्चित है डा. आदि तो मात्र ज़रिया हैं .जिसकी मौत नहीं आई उसे तो अर्जुन भी न मार पाये, क्या यह बात सही है ?
हो सकता है कि आप कोई ईसाई पंडत हो ?
@ भगवत प्रसाद मिश्रा जी !
१. हमने सुना है कि मनु स्मृति के अनुसार यदि कोई शुद्र किसी ब्रह्मण को उपदेश करे तो उसकी ज़बान काट ली जाये, ऐसा कहा गया है,  इस डर के कारण किसी कि हिम्मत नहीं पढ़ रही होगी ।

२. आपका प्रोफाइल भी फ्रॉड लोगों जैसा है बल्कि है ही नहीं. हो सकता है कि आप कोई ईसाई पंडत हो ? कुमारम भी राकेश जी के मुंह से 'पीने' चले गये ? शायद दोनों के मुंह एक हैं या  दोनों में नाम मात्र का ही भेद है ?
सुधरने के लिए आदर्श शिक्षा कौन देगा बताइए ? 
@ तारकेश्वर गिरी जी !
१. समाज बदलता  रहता है क्या धर्म भी बदलता रहता है ?
२. सुधरने के लिए आदर्श शिक्षा कौन देगा बताइए ? 

18 टिप्पणियाँ:

Satish Chand Gupta said...

धर्म नहीं बदलता हम बदल जाते हैं, जब मुझ जैसा बदलता है तो लिखता है

book: सत्‍यार्थ प्रकाश : समीक्षा की समीक्षा

स्‍वामी दयानंद सरस्‍वती द्वारा प्रतिपादित महत्‍वपूर्ण विषयों और धारणाओं को सरल भाषा में विज्ञान और विवेक की कसौटी पर कसने का प्रयास

http://satishchandgupta.blogspot.com/


विषय सूची

1. प्राक्कथन
2. सत्यार्थ प्रकाशः भाषा, तथ्य और विषय वस्तु
3. नियोग और नारी
4. जीव हत्या और मांसाहार
5. अहिंसां परमो धर्मः ?
6. ‘शाकाहार का प्रोपगैंडा
7. मरणोत्तर जीवनः तथ्य और सत्य
8. दाह संस्कारः कितना उचित?
9. स्तनपानः कितना उपयोगी ?
10. खतना और पेशाब
11. कुरआन पर आरोपः कितने स्तरीय ?
12. क़ाफ़िर और नास्तिक
13. क्या पर्दा नारी के हित में नहीं है ?
14. आक्षेप की गंदी मानसिकता से उबरें
15. मानव जीवन की विडंबना
16. हिंदू धर्मग्रंथों में पात्रों की उत्पत्ति ?
17. अंतिम प्रश्न

सतीश चंद गुप्‍ता का ब्‍लाग

Satish Chand Gupta said...

nice

तारकेश्‍वर गिरि said...

तुम सब झूटे हो मैं ने ऐसा कभी नहीं कहा

सुज्ञ said...

गिरि जी,
मेरे भी वो शब्द नहिं है।
पर अहमकों की यह प्रकृति होती है, धर्म भले हार जाय,ये नहिं हारने चाहिये।

Taarkeshwar Giri said...

Uper di gai tippdi farji hai. Koi mere nam se Farji Id bana kar ke tipdi kar raha hai

Taarkeshwar Giri said...

तारकेश्‍वर गिरि said...
तुम सब झूटे हो मैं ने ऐसा कभी नहीं कहा

12 October 2010 3:02 AM

Is par clik karne ke bad Sriman Anwar Jamal ji ki Profile Khul rahi hai

सुज्ञ said...

गिरि जी कोई बात नहिं, पर एजाज़ साहब की कल की बात्………।

"2- सत्य एक ही होता है लेकिन औरत मर्द बच्चा बूढ़ा और बीमार हरेक उसका पालन अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही करता है पहाड़ मैदान, टापू और रेगिस्तान की भौगोलिक दशाओं का भी मानव पर प्रभाव पड़ता है इसीलिए सत्य के पालन में इनसे भी बाधा और सुविधा पैदा होती रहती है सर्दी गर्मी और बरसात हर एक मौसम में आदमी का आचरण बदलता रहता है इससे पता चलता है कि अच्छा उपदेशक सत्य का उपदेश करते हुए संबोधित व्यक्ति की मानसिक और भौगोलिक परिस्तिथियों पूरा ध्यान रखता है. जो इन्हें नज़रअंदाज़ करता है वह लोगों को खामखाँ परेशान करता है ।"

Anonymous said...

nice post

Anonymous said...

बहुत अच्छा लिखा

DR. ANWER JAMAL said...

आपकी बात का जवाब देगा अनवर जमाल .
आपकी बात को लोग सुनते हैं और एक दिन मान भी लेंगे .
### 'मैंने इसीलिए जन्म लिया और इसीलिए संसार में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं।‘

DR. ANWER JAMAL said...

ध्यान जमाने के लिए बेजान मूर्ति एकमात्र साधन नहीं है
@ सुज्ञ जी ! इंसान को जिंदा रहने के लिए खाना पीना और चलना फिरना अनिवार्य है, यह एक सत्य है जिसे सभी मानते हैं लेकिन हरेक आदमी इसका पालन अपनी रीती नीति से करता है . बरसात , गर्मी और सर्दी के मौसम में भी आदमी का आचरण बदल जाता है . रेगिस्तान और मैदान की परिस्थितियों का भी आदमी के आचरण पर असर पड़ता है . सत्य एक ही रहता है केवल उसके अनुपालन की रीति बदल जाती है . आप चाहते तो इस मामूली सी बात को खुद ही समझ सकते थे .
@ रविन्द्र जी ! मैं क्या हरेक नमाज़ी बंदा सजदे में अपनी नाक पर ही दृष्टि रखता है और मालिक का ध्यान करता है . ध्यान जमाने के लिए बेजान मूर्ति एकमात्र साधन नहीं है तो इस पर अनावश्यक ज़ोर क्यों ?

S.M.Masoom said...

तारकेश्‍वर गिरि जी यहाँ कहां फँस गए.? सुज्ञ जी@ लगता है कुछ ज्ञान बढ़ रहा है आपका? ज्ञानी ही कभी शक नहीं केता. अज्ञानी जानता कम है, शक अधिक किया करता है.

Ayaz ahmad said...

@ एजाज़ साहब आपने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी । साथ ही सभी के कमेँट भी अच्छे है

सुज्ञ said...

मासूम जी,
हां, मासूम जी लगता क्या, बहूत ही ज्ञान बढा है मेरा।
अब ज्ञानी बनकर शक़ नहिं किया करूंगा,
मैं नहिं चाहता मेरी गिनती अज्ञानीयों में हो।

Unknown said...

@ सुज्ञ जी, आप भी कहाँ इन लोगों के चक्कर में पड गए/ भला गधों पर साबुन घिसने से वो घोडा थोडे ही हो जाता है/ इन भेडियों का न तो कोई दीन है और न ही ईमान/ ये सब के सब पढे लिखे मूर्खों की जमात है/ इन कपटियों के चक्कर में पडेंगें तो किसी दिन अपनी बुद्धि का ही दिवाला निकलवा बैठेगें/

सुज्ञ said...

निरंजन जी,

ज्ञान की भुख, यह सब करवा देती है। और अनुभव भी ऐसे ही नहिं मिल जाते।
मेरे प्रति सहानुभुति के लिये आभार!!

Ejaz Ul Haq said...

@ निरंजन मिश्र जी !
जब आपको पता है कि साबुन मलने से गधा घोड़ा नहीं बन जाता तो फिर आप साबुन मल कर क्यों नहाते हैं ? और यहाँ आकर दुलत्तियाँ क्यों झाड़ रहे हैं ?
लेकिन कोई भी जीव बेकार नहीं होता आप भी नहीं हैं. आप आये,
आप आये, आपका आभार
पूजो ईश्वर निराकार,

Anonymous said...

मुझ पर इसाइ होने का आरोप लगाने वाले क्या तुम देश के दुश्मनो के एजेंट हो जो इस प्रकार की मिथ्या बातें फैला रहे हो?

शेष प्रश्नों के उत्तर के लिए मूल ब्लोग पर जाएं जहाँ मैने प्रश्न पोस्ट किए हैं।

गिरी जी फर्जी टिप्पणियों पर इस गुट के लिंक का मिलना कोई आश्चर्य नही, अगर ऐसा न हो तो आश्चर्य की बात होगी।

Post a Comment

कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय संयमित भाषा का इस्तेमाल करे। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी। यदि आप इस लेख से सहमत है तो टिपण्णी देकर उत्साहवर्धन करे और यदि असहमत है तो अपनी असहमति का कारण अवश्य दे .... आभार