इस्लाम में पडोसी का पूरा खयाल रखने,उसके सुख दुख में भागीदार बनने और किसी भी तरह उसको दुख न पहुचाने की सख्त ताकीद की गई है। पडोस से बेपरवाह व्यक्ति को उसकी जिम्मेदारी का एहसास कराकर बताया गया है कि एक पडोसी के रूप में उसकी क्या-क्या जिम्मेदारियां हैं। पडोसी चाहे किसी भी मजहब का मानने वाला हो ,उसके प्रति ये पूरे हक अदा किए जाने चाहिए।
कुरआन और हदीस में पडोसियों के साथ अच्छे बर्ताव के हुक्म दिए गए हैं। इस्लाम के आखरी पैगम्बर मुहम्मद सल्लललाहो अलैहेवसल्लम ने फरमाया-जिसकी तकलीफों और शरारतों से पडोसी सुरक्षित नहीं,वह ईमानवाला नहीं है।पडोसी के साथ जुडाव लगाव और उसका हमदर्द बनने पर कितना जोर दिया गया है,इसका अंदाजा पैगम्बर की इस बात से होता है-पैगम्बर कहते हैं-’अल्लाह जिबी्रल फरिशते के जरिए मुझे पडोसी के बारे में बराबर ताकीद करते रहे,यहां तक कि मुझे खयाल होने लगा कि पडोसी को सम्पति का वारिस बना देंगे।‘ पडोसी का हर मामले में खयाल रखने पर जोर दिया गया है।खाने-पीने की चीजों में भी पडोसी को शामिल करने का हुक्म दिया गया है। हुजूर ने फरमाया-जो शख्स खुद पेट भरकर सोया और उसका पडोसी उसके पडोस में भूखा पडा रहा वह मुझ पर ईमान नहीं लाया।
इस्लाम में नमाज,रोजा,जकात आदि इबादतों के जरिए कर्मों को सुधारकर इंसानी भाईचारे,इंसानियत और इंसाफ पर जोर दिया गया है। नमाज,रोजा ,जकात को साधन और इनके असर से होने वाले अच्छे अमल को साध्य माना गया हैै। पडोसी के साथ अच्छे अमल के इस उदाहरण से इस बात को समझा जा सकता है- एक आदमी ने पैगम्बर मुहम्मद साहब से कहा कि फलां औरत नमाज पढती है,रोजे उपवास रखती है, खैरात गरीबों को मदद देती है लेकिन पडोसियों को गलत जुबानी से सताती रहती है। पैगम्बर ने कहा ऐसी औरत जहन्नुम में जाएगी। इसी तरह एक दूसरी औरत के बारे में उनसे कहा गया उसकी नमाज,रोजा कम है,खैरात भी कम देती है लेकिन उसके पडोसी इससे महफूज है। पैगम्बर ने कहा-वह औरत जन्नत में जाएगी। एक मौके पर मुहम्मद साहब ने कहा-पडोसी का बच्चा घर आ जाए तो उसके हाथ में कुछ न कुछ दो कि इससे मोहब्बत बढेगी। पडोसी का पडोसी से रिश्ता अच्छा और मजबूत बनाने के मकसद से कई हिदायतें दी गईं। हिदायत दी गई है कि पडोसी किसी भी तरह अपने पडोसी पर जुल्म न करे।
पैगम्बर साहब ने फरमाया-जिसने पडोसी को सताया उसने मेरे को सताया और जिसने मेरे को सताया उसने खुदा को सताया। इन सब बातों से जाहिर है कि कैसे पडोसी से पडोसी के रिश्ता को मजबूत करने की कोशिश की गई है । इसके पीछे मकसद है विशव बन्धुत्व की भावना को बढावा देना। क्योंकि भौगोलिक आधार पर देखा जाए तो सबसे छोटी इकाई पडोस ही है। पडोसों में भाईचारा होगा तो बस्ती या इलाके में भाईचारा होगा और फिर यह भाईचारा कस्बे,शहर,राज्य,देश से बढते-बढते बढेगा विशव बन्धुत्व की ओर।
साभार- हमारी अंजुमन
24 टिप्पणियाँ:
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रसूल लुल्लाह सल्लाहू अलेहे वसल्लम की अपने पडोसियों को धमकी
"जो अल्लाह पर ईमान नहीं लाते ,और न रसूल को मानते हैं ,और सिर्फ अपने धर्म को मानते हैं ,तुम उन से इतना लड़ो कि वे अपने हाथों से जजिया देने पर विवश हो जाएँ .सूरा अत तौबा 9 :29
"जो अल्लाह के रसूल का विरोध करते हैं ,उनकी सजा यही है कि ,वे बुरी तरह क़त्ल किये जाएँ ,या सूली पर चढ़ा दिए जाएँ ,और उनके हाथ पैर विपरीत दिशाओं में काट दिए जाएँ ,या देश से निकाल दिए जाएँ ,सूरा -अल मायदा 5 :33 ?????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????
अच्छी पोस्ट
@ बेनामी भाई ! यह आयत उन लोगों के लिए हैं जिन्होंने धर्म को धंधा बना रखा था और जो उनके खिलाफ बोलता था उसे वे क़त्ल कर दिया करते थे . इन्हीं लोगों ने पैगम्बर साहब को मक्का में काटी करना चाहा और जब न कर पाए तो एक बड़ी फ़ौज लेकर मदीने पर चढ़ आये . शान्ति की बात रसूल ने करनी चाहि तो उसे घमंड के कारण ठुकरा दिया . जब लड़ाई के सिवा कोई चारा न था अपनी इज्ज़त और अपनी जान बचाने का तो यह हुक्म उतरा कि लड़ो उन लोगों से जो लड़ने ही आये हैं और लादे बिना जाने वाले नहीं , इसे आपने पड़ोस के हुक्म से क्यों जोड़ दिया भाई ? गीता को तो आपने कभी ऐसे न पढ़ा , फिर कुरान से दुश्मनी क्यों ? ऐसे करोगे तो 'मार्ग' कैसे पाओगे ?
@ बेनामी भाई ! यह आयत उन लोगों के लिए हैं जिन्होंने धर्म को धंधा बना रखा था और जो उनके खिलाफ बोलता था उसे वे क़त्ल कर दिया करते थे . इन्हीं लोगों ने पैगम्बर साहब को मक्का में क़त्ल करना चाहा और जब न कर पाए तो एक बड़ी फ़ौज लेकर मदीने पर चढ़ आये . शान्ति की बात रसूल स. ने करनी चाही तो उसे घमंड के कारण ठुकरा दिया . जब लड़ाई के सिवा कोई चारा न था तब सत्य कि रक्षा के लिए , अपनी इज्ज़त और अपनी जान बचाने के लिए यह हुक्म उतरा कि लड़ो उन लोगों से जो लड़ने ही आये हैं और लड़े बिना जाने वाले नहीं , इसे आपने पड़ोस में शांतिपूर्वक रहने वालों के हुक्म से क्यों जोड़ दिया भाई ? गीता को तो आपने कभी ऐसे न पढ़ा , फिर कुरआन से दुश्मनी क्यों ? ऐसे करोगे तो 'मार्ग' कैसे पाओगे ?
अनुअर साहब ये धमकी मुहम्मद जी ने यहूदियों को दी थी
जब मुहम्मद जी ने खुद को रसूल घोषित कर दिया तो वह यहूदियों से यह कहने लग ,कि मुझे अल्लाह में विश्व पर दया करने के लिए भेजा है .लेकिन यहूदी नहीं माने,मुहमद जी ने कहा -
"हे मुहम्मद हमने तुझे संसार के लिए दयालुता का रूप बनाकर भेजा है .सूर अल अम्बिया 21 :107
लेकिन यहूदी मुहम्मद जी के हिंसक ,क्रूर स्वभाव को जानते थे ,उन्होंने इस पर विश्वास नही किया .इस पर मुहम्मद जी उनको धमकाने लग और उनसे बोला .
"रसूल की आज्ञा मानो ,यदि तुम मुंह मोड़ोगे तो निश्चय ही काफिर माने जाओगे .सूरा -आले इमरान 3 :32
जादा जानकारी के लिये लिंक
http://bhandafodu.blogspot.com/
यह देख कर मुहम्मद जी गुस्से से भर गय और उसने यह आयतें बक डालीं .
"जो अल्लाह पर ईमान नहीं लाते ,और न रसूल को मानते हैं ,और सिर्फ अपने धर्म को मानते हैं ,तुम उन से इतना लड़ो कि वे अपने हाथों से जजिया देने पर विवश हो जाएँ .सूरा अत तौबा 9 :29
"जो अल्लाह के रसूल का विरोध करते हैं ,उनकी सजा यही है कि ,वे बुरी तरह क़त्ल किये जाएँ ,या सूली पर चढ़ा दिए जाएँ ,और उनके हाथ पैर विपरीत दिशाओं में काट दिए जाएँ ,या देश से निकाल दिए जाएँ ,सूरा -अल मायदा 5 :33
मुहम्मद जी की इस हरकत को यहूदी उसे सनकी समझते थे .
"वे यहूदी और ईसाई आपस में कानाफूसी करते हैं कि क्या तुम ऐसे आदमी के पीछे चल सकते हो ,यातो जादू के प्रभाव में है या फिर बिलकुल ही दीवाना है
.सूरा -बनी इस्राएल 17 :47
बे रहम कातिल को क्या सजा दी जाये ?
@ मिस्टर जाने पहचाने !
1 ताज्जुब की बात यह है कि जिस की समझ में गीता आ जाए, जिसके कारण एक अरब 88 करोड़ हिन्दू मारे जाएँ, उसकी समझ में मुहम्मद साहब द्वारा किये जाने वाले युद्ध न आ पायें, जिनमें सब युद्धों में कुल मरने वाले विरोधियों की संख्या 1088 तक भी न पहुंची हो ।
2 राजा सगर के दो चार बच्चों ने खेलते हुए मरा हुआ सांप किसी ऋषि के गले में डाल दिया, क्या यह इतना बड़ा जुर्म था कि राजा सगर के 60 हज़ार पुत्रों को भस्म कर दिया जाये ? और फिर उन्हें मारने के बाद लाखों साल तक मुक्ति के लिए भी तरसा दिया जाय ?
3 पाकिस्तान से बड़े-बड़े बम-बाज़ आये पर इतना बड़ा विनाश वे भी कभी न कर पाए. हर एक आतंकवाद तुच्छ है इसके सामने, जो इसे नहीं मानता वह कुछ नहीं जानता.
4 सुरे अल मायदा की आयात नंबर 33 का ताल्लुक "अक्ल और अरीना" क़बीले के कुछ लोगों से है, जो मुसलमान होकर मदीना आये और उन्हें इलाज के लिए नबी ( सल्ल०) ने मदीने के बाहर उस जगह ठहराया जहाँ सरकारी ऊँटशाला थी, जब वे कुछ समय बाद सेहतमंद हो गए तो उन्होंने ऊंटों के रखवाले को क़त्ल कर दिया और ऊँट लूट कर भाग गए, सूचना मिलने पर उनका पीछा किया गया और पकड़ कर इस्लामी अदालत के सामने पेश किया गया. सरकारी कर्मचारी के बेरेहमना क़त्ल और जनता के हितार्थ रखे गए सरकारी कोष को लूटने के जुर्म में क्या सजा दी जाये ? यही मार्गदर्शन इस आयत में दिया गया है.
5 क्या आपको इस सजा पर कोई एतराज़ है ?
6. क्या आप चाहते हैं कि इन वहशी हत्यारों को अफज़ल गुरु और कसाब की तरह ऐश कराई जाती ?
7 या फिर उस तथाकथित बालक समूह हत्यारे ऋषि की तरह पूजनीय माना जाता ?
8. आखिर आप कन्फ्यूज़ क्यों हैं ?, और क्यों कन्फ्यूज़न फैला रहे हैं ?
9 अब भी कुछ संदेह रह गया हो तो इस लिंक पर देख लो.
बात कुरान की हो रही है
आप हमारे धर्म का उदाहरण देकर सफाई दे रहे है।
वो भी खीज कर तिलमिला कर।
जनाब सत्य हमेशा कड़वा होता है।
हलक मे आसानी से नही उतरता है।
अगर उतर जाये तो
सोच, विचार और जीवन बदल देता है।
क़ुरआन किसी अल्लाह का कलाम हो ही नहीं सकता.
कोई अल्लाह अगर है तो अपने बन्दों के क़त्ल-ओ- खून का हुक्म न देगा.
क्या सर्व शक्ति वान, सर्व ज्ञाता, हिकमत वाला अल्लाह मूर्खता पूर्ण और अज्ञानता पूर्ण बकवास करेगा?
क्या इन बेहूदा बातों की तिलावत (पाठ) से कोई सवाब मिल सकता है?
जागो! मुसलमानों जागो!! मुहम्मद के सर पर करोड़ों मासूमों का खून है जो इस्लाम के फरेब में आकर अपनी नस्लों को इस्लाम के हवाले कर चुके हैं. मुहम्मद की ज़िदगी में ही हज़ारों मासूम मारे गए और मुहम्मद के मरते ही दामाद अली और बीवी आयशा के दरमियाँ जंग जमल में दो लाख इंसान बहैसियत मुसलमान मारे गए. स्पेन में सात सौ साल काबिज़ रहने के बाद दस लाख मुसलमान जिंदा नकली इस्लामी दोज़ख में डाल दिए गए, अभी तुम्हारे नज़र के सामने ईराक में दस लाख मुसलमान मारे अफगानिस्तान, पाकिस्तान कश्मीर में लाखों इन्सान इस्लाम के नाम पर मारे जा रहे है.चौदह सौ सालों में हज़ारों इस्लामी जंगें हुईं हैं जिसमें करोड़ों इंसानी जानें गईं. मुस्लमान होने का अंजाम है बेमौत मारो या बेमौत मरो.
क्या अपनी नस्लों का अंजाम यही चाहते हो? एक दिन इस्लाम का जेहादी सवाब मुसलामानों को मारते मारते और मरते मरते ख़त्म कर देगा. वक़्त आ गया है खुल कर मैदान में आओ. ज़मीर फरोश गीदड़ ओलिमा का बाई काट करो, इनके साए से दूर रहो और भोले भाले लोगों को दूर रखो.
" जो लोग अल्लाह और उसके रसूल से लड़ते हैं और मुल्क में फसाद फैलाते फिरते हैं, उनकी यही सज़ा है कि क़त्ल किए जावें या सूली दी जावें या उनके हाथ और पाँव मुखलिफ सम्त से काट दिए जवे या ज़मीन पर से निकाल दिए जावें - - - उनको आखरत में अज़ाब अज़ीम है. हाँ जो लोग क़ब्ल इस के कि तुम उनको गिरफ्तार करो, तौबा कर लें तो जान लो बे शक अल्लाह ताला बख्स देगे, मेहरबानी फरमा देंगे."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (33-34)
भला अल्लाह से कौन लडेगा? वोह मयस्सर भी कहाँ है? हजारों सालों से दुन्या उसकी एक झलक के लिए बेताब है,बाग़ बाग़ हो जाने के लिए, तर जाने के लिए,निहाल हो जाने के लिए सब कुछ लुटाने को तैयार है। उसकी तो अभी तक जुस्तुजू है, किसी ने उसे देखा न पाया सिवाय मुहम्मद जैसे खुद साख्ता पैगम्बरों के.उस से लड्ने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है. लडाई तो उसका एजेंट पुर अमन ज़मीन पर थोप रहा है. गौर तलब है की कैसे कैसे घृणित तरीके अपने विरोधियों के लिए ईजाद कर रहा है जिस को 'मोहसिन इंसानियत 'मानव मित्र' यह ओलिमा हराम जादे कहते हुए नहीं शर्माते. मुहम्मद ने अपनी जिंदगी में लोगों का जीना दूभर कर दिया था जिसका गवाह कोई और नहीं खुद यह क़ुरआन है. इसकी सजा मुसलसल कि शक्ल में भोले भाले इंसानों को इन आलिमो की वज़ह से मिलती रही है मगर यह आज तक ज़मीं से नापैद नहीं किए गए जाने कब मुसलमान बेदार होगा. इक क़ुरआन उसके लिए ज़हर का प्याला है जो अनजाने में वह सुब्ह ओ शाम पीता है. मुहम्मद ही इस ज़मीन का शैतानुर्र रजीम था जिस पर लानत भेज कर इसे रुसवा करना चाहिए.
" ए ईमान वालो! अल्लाह से डरो और अल्लाह का कुर्ब ढूंढो, उसकी राह में जेहाद करो, उम्मीद है कामयाब होगे."
सूरह अलमायदा 5 छटवाँ पारा-आयत (35)
याद रखें मुहम्मद दर पर्दा बजात खुद अल्लाह हैं और आप को अपने करीब चाहते हैं ताकि आप पर ग़ालिब रहें और आप से दीन के नाम पर जेहाद करा सकें. मुहम्मद दफ़ा हो गए हजारों मिनी मुहम्मद पैदा हो गए जो आप की नस्लों को जाहिल रखना चाहते हैं.अफ्गंस्तान, पाकिस्तान ही नहीं हिंदुस्तान में भी ये सब आप की नज़रों के सामने हो रहा है और अप की आँखें खुल नहीं रहीं. कोई राह नहीं है कि मैदान में खुल कर आएं. कमसे कम इस से शुरुआत करें की मुल्ला, मस्जिद और मज़हब का बाई काट करें.मत डरें समाज से,समाज आपसे है. मत डरें अल्लाह से, डरें तो बुराइयों से. अल्लाह अगर है भी तो भले लोगों का कभी बुरा नहीं करेगा. अल्लाह से डरने की ज़रुरत नहीं है. अल्लाह कभी डरावना नहीं होगा, होगा तो बाप जैसा अपनी औलाद को सिर्फ प्यार करने बाला,दोज़ख में जलाने वाला? उस पर लाहौल भेजिए।
'' दूसरे खलीफा उमर के बेटे अब्दुल्ला के हवाले से ... रसूल मकबूल सललललाहो अलैहे वसललम (मुहम्मद की उपाधियाँ) ने फ़रमाया एक ऐसा वक़्त आएगा कि इस वक़्त तुम लोगों की यहूदियों से जंग होगी, अगर कोई यहूदी पत्थर के पीछे छुपा होगा तो पत्थर भी पुकार कर कहेगा की ऐ मोमिन मेरी आड़ में यहूदी छुपा बैठा है, आ इसको क़त्ल कर दे. (बुखारी १२१२)
आज मुसलमान पहाड़ी पत्थरों में छुपे यहूदियों के ही बोसीदा ईजाद हथियारों से लड़ कर अपनी जान गँवा रहे हैं. इंसानी हुकूक उनको बचाए हुए है मगर कब तक? मुहम्मद की जेहालत रंग दिखला रही है.
" क्या तुम लोग इस का इरादा रखते हो कि ऐसे लोगों को हिदायत करो जिस को अल्लाह ने गुमराही में डाल रक्खा है और जिस को अल्लाह ताला गुमराही में डाल दे उसके लिए कोई सबील नहीं।"
सूरह निसाँअ4 पाँचवाँ पारा- आयात (84)
गोया मुहम्मदी अल्लाह शैतानी काम भी करता है, अपने बन्दों को गुमराह करता है. मुहम्माद परले दर्जे के उम्मी ही नहीं अपने अल्लाह के नादाँ दोस्त भी हैं, जो तारीफ में उसको शैतान तक दर्जा देते हैं. उनसे ज्यादा उनकी उम्मत, जो उनकी बातों को मुहाविरा बना कर दोहराती हो कि " अल्लाह जिसको गुमराह करे, उसको कौन राह पर ला सकता है"?
" वह इस तमन्ना में हैं कि जैसे वोह काफ़िर हैं, वैसे तुम भी काफ़िर बन जाओ, जिस से तुम और वोह सब एक तरह के हो जाओ। सो इन में से किसी को दोस्त मत बनाना, जब तक कि अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और अगर वोह रू गरदनी करें तो उन को पकडो और क़त्ल कर दो और न किसी को अपना दोस्त बनाओ न मददगार"
सूरह निसाँअ4 पाँचवाँ पारा- आयात (89)
ऋग्वेद के दसवें मंडल के दसवें सूक्त में सहोदर भाई-बहन यम और यमी का संवाद है जिसमें यमी यम से संभोग याचना करती है। इसी मंडल के ६१ वें सूक्त के पाँचवें-सातवें तथा अथर्ववेद (९/१०/१२) में प्रजापति का अपनी पुत्री के साथ संभोग वर्णन है। यम और यमी के प्रकरण का विवरण अथर्ववेद के अठारहवें कांड में भी मिलता है। (भारतीय विवाह संस्था का इतिहास – वि.का. राजवाडे, पृष्ठ ९७) इसी पुस्तक के पृष्ठ ७८-७९ पर पिता-पुत्री के सम्बन्धों पर चर्चा करते हुए वशिष्ठ प्रजापति की कन्या शतरूपा, मनु की कन्या इला, जन्हू की कन्या जान्हवी (गंगा) सूर्य की पुत्राी उषा अथवा सरण्यू का अपने-अपने पिता के साथ पत्नी भाव से समागन होना बताया गया है।
हमारे शास्त्र कन्या-संभोग और बलात्कार के लिये भी प्रेरित करते हैं। मनुस्मृति के अध्याय ९ के श्लोक ९४ में आठ वर्ष की कन्या के साथ चौबीस वर्ष के पुरुष के विवाह का प्रावधान है। ‘भारतीय विवाह का इतिहास’(वि.का. राजवाडे) के पृष्ठ ९१ पर उद्धृत वाक्य ‘‘चौबीस वर्ष का पुरुष, आठ वर्ष की लड़की से विवाह करे, इस अर्थ में स्मृति प्रसिद्ध है। विवाह की रात्रिा में समागम किया जाय, इस प्रकार के भी स्मृति वचन हैं। अतः आठ वर्ष की लड़कियाँ समागमेय हैं, यह मानने की रूढ़ि इस देश में थी, इसमें शक नहीं।” इसी पुस्तक के पृष्ठ ८६-८७ तथा ९० के नीचे से चार पंक्तियों को पढ़ा जाय तो ज्ञात होता है कि कन्या के जन्म से लेकर छः वर्ष तक दो-दो वर्ष की अवधि के लिये उस पर किसी न किसी देवता का अधिकार होता था। अतः उसके विवाह की आयु का निर्धारण आठ वर्ष किया गया। क्या इससे यह संदेश नहीं जाता कि कन्या जन्म से ही समागमेय समझी जाती थी क्योंकि छः वर्ष बाद उस पर से देवताओं का अधिकार समाप्त हो जाता था। यम संहिता और पराशर स्मृति दोनों ही रजस्वला होने से पूर्व कन्या के विवाह की आज्ञा देते हैं (खट्टर काका पृष्ठ १०१) निम्न श्लोक देखें-प्राप्ते तु द्वादशे वर्षे यः कन्यां न प्रयच्छति/मासि मासि रजस्तयाः पिब्रन्ति पितरोऽनिशम्। (यम संहिता)
मुहम्मद ने ज़ैद बिन हरसा को भरी महफ़िल में अल्लाह को गवाह बनाते हुए गोद लेकर अपनी औलाद बनाया था, उसकी बीवी के साथ ज़िना करते हुए जब ज़ैद ने हज़रात को पकड़ा तो उसने मुहम्मद को ऊपर से नीचे तक देखा, गोया पूछ रहा हो अब्बा हुज़ूर! ये आप अपनी बहू के साथ पैगम्बरी कर रहे हैं? मुहम्मद ने हज़ार समझाया की मन जा, हम दोनों का काम चलता रहेगा, आखिर तेरी पहली बीवी ऐमन भी तो मेरी लौंडी हुवा करती थी, पर वह नहीं माना, तभी से गैर के बच्चे को औलाद बनाना हराम कर दिया. उसी का रद्दे अमल है कि इस बंदे नामुराद ने अल्लाह तक पर ईसा को औलाद बनाना हराम कर दिया.
अबू बकर की एक नौ साल की बेटी आयशा थी मुहम्मद की पहली औरत खदीजा मर चुकी थी.मुहम्मद ५४ साल का था .तभी उसकी नजर आयेशापर पड़ी.उसने अबू बकर को खलीफा बनाने का लालच दिया ,और छोटीसी आयेशा से शादी का दवाब डाला. आयेशा को शादी के बारे में ज्ञान ही नहीं था.मुहमद की दासियाँ आयेशा कु उठाकर मुहम्मद के कमरे में ले गयीं.आयेशा चिलाती रही,रोती उसकी आवाज दवाने के लिए औरतें शोर करती रही .
सही मुस्लिम-किताब८,हदीस-३३०९
बुखारी-खन्द७,हदीस -६५
जब तक मुहम्मद अपनी मन मानी नहीं कर चुका दूउसरी औरतें शोर मचाती रही ,ताकि किसी को पता नहीं चले क्या हो रहा है.
सही मुस्लिम -खंड २ हदीस ३३०९
एकबार मुसलमान मिस्र से एक १७ साल की ईसाई कुंवारी लड़की मारिया किब्तिया को लूट कर और मुहम्मद के हवाले कर दिया.मुहम्मद की नीयत खराब हो गयी .जब वह मारिया के साथ सम्भोग कर रहा था तो उसकी एक औरत हफ्शा ने देख लिया और मुहम्मद ऐसा करने का कारण पूछा.मुहम्मद ने कहा कि यहमैं अल्लाह के आदेश से कर रहा हूँ इसमे अल्लाह ने अनुमति दी है.
कुरआन-सूरा अह्जाब -३३.३७
अल्लाह ने कहा है लूट में पकड़ी गयी औरतोंसे तुम सम्भोग कर सकते हो.यह तुम्हारी संपत्ति हैं
कुरआन-सूरा निसा ४/२३-२४
इसी तरह मुहम्मद ने जिस लडके ज़ैद को बेटा मान कर उसकी शादी अपनी फूफी की लड़की जैनब से करवादी थी.और शादी के लिए सारा सामान भी दिया था.लेकिन मुहम्मद की जैनब पर भी नजर पद गयी जब वह घर में कपडे धो रही थी. मुहम्मद ने ज़ैद को डराया और जैनब से तलाक देने को कहा
कुरआन -सूरा अहजाब ३३.३७
मुहम्मद ने कहा कि यह इसलिए कर रहा हूँ कि अल्लाह चाहता है कि मुझे औरतों की तंगी नहीं रहे चाहे वह चाचा , मामा .फूफू कि बेटी ,या दत्तक पुत्र की पत्नी ही हो
मै रोशनी नी जी से आग्रह करत्त हूँ कि इस पर कुछ जरूर कहें लेकिन पहले कुरान हदीस वगैरह ठीक से पढ़ लें
बेचारी मासूम नाजुक आयशा 9 year child के साथ मुहम्मद ने मुह काला किया
शरियत मे ऐसे शक्स की क्या सजा होती है
कुरान में बलात्कार करने का आदेश देने वाली आयत देखे
सूरए निशा की आयत २४
और शौहरदार औरते मगर वह औरते जो (जेहाद में कुफ्फार से )तुम्हारे कब्जे में आजाये हराम नही (ये) खुदा का तहरीरी हुक्म( है जो) तुम पर फर्ज किया गया है
@ बेनामी ,
इन के पास आप की बात का कोई जवाब नही है
@ बेनामी + अभिषेक जी !
जवाब तो मेरे पास इस बात का भी नहीं है कि ब्रह्मा जी पंचमुखी से चतुर्मुखी क्यों रह गए ? और न ही मैं यह बता पाऊँगा कि जलंधर दैत्य की पत्नी के साथ बलात्कार किसने किया था. इसी तरह मुझे पांडवों के पैदा होने की कहानी का भी नहीं पता, और न ही मैं इस तरह की बातों के जवाब देना चाहता हूँ क्योंकि मेरा ब्लॉग कोई जंग का मैदान नहीं है. बल्कि ' प्रेम संदेस' है.
एजाज उल भाई उपर कुरान की सच्चाई लिखी है
रामायण गीता और वेद मे मत जाइये।
आप कुरान को वेद और गीता रामायण से छुपाने की कोशिश मत करें।
आप दिखावटी प्रेम संदेश की बात करते है
प्रेम का मीनिंगं नही मालूम है।
आपकी आसमानी किताब व्यभिचार, जिहाद,अत्याचार,लूट और बहुत कुछ उपर
कमेंट मे पढ़ लिया हमने।
एजाज उल भाई
जवाब दीजिये कहां छुप गये भाई
अगर न मालूम हो तो अनवर जी से पूछें
नही तो प्रेम संदेश मे ढूंढे।
अर्ज किया है
‘‘सच्चाई छुप नही सकती बनावटी उसूलों से
खुशबू आ नही सकती कागज के फूलों से’’
इश्क और मुश्क नही छुपते
मुहम्मद स. ने अच्छे कर्म किये होते तो सारे जहां खुशबू फैलती कोई रोक नही
इब सियार दिखाई नही दे रहे है किधर गोन हो गये
कल तक हुआ हुआ चिल्लाते थे।
फसा के गायब हो गये
कोमा मे हैं क्या
अज़ान सुनते जिन चोपालों पे,वहां पाखंण्डी बगूला बोल रहा।
मार काट मचती जहां अब, राम भजन है हो रहा॥
भारत प्रभुत्वशाली शक्ति होगा : रिपोर्ट
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