सब्र करने वालों के साथ अल्लाह है, और जिनके साथ अल्लाह है उनको और चाहिए क्या ?
जो लोग ख़ुदा को पाना चाहते हैं वे आज़माइश के वक़्त सब्र करना सीखें और सब्र का मतलब है डटे रहना अपने फ़र्ज़ पर.
अपना फ़र्ज़ अदा कीजिये लोगों को सही ग़लत और न्याय अन्याय का ज्ञान दीजिये. अच्छे बुरा कर्मों का अंजाम बताइए.
जब लोग जागेंगे तब लोग मानेगे. जब समाज सीधे मार्ग पर जायेगा तो वे कल्याण पा जायेगा. और तब आपको भी मिलेगा न्याय बल्कि न्याय से भी ज्यादा जो आप पाना चाहते है समाज से वह पाने के लिए आपको बनाना होगा एक नया समाज सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने वाला समाज यही आपका फ़र्ज़ है. इसके लिए सबसे पहले आपको खुद चलना होगा सत्य और न्याय पर, हज़रत मुहम्मद ( सल्ल० ) के आदर्श पर जिसका इक़रार एक मुस्लिम करता है कलमा, अज़ान और नमाज़ में. अगर आप ऐसा नहीं करते तो आप ज़ुल्म करते हैं ख़ुद पर भी और समाज पर भी, और ज़ालिम को बदले समाज से क्या मिलेगा सिवाय ज़ुल्म के. ज़ुल्म को मिटादो न्याय क़ायम करो, शांति लाओ, कल्याण पाओ, उद्धार पाओ और यह सब मिलेगा इसी दुनिया में बस आप को चलना होगा ख़ुदा के हुक्म पर. आपको सत्य की गवाही देनी होगी अपने कर्म से और वे भी सामूहिक रूप से देनी होगी. इसी से खातमा होगा फिरकेबंदी का और इसी से जायगी मोमिनों की कमज़ोरी, तब मोमिन होगा बलवान और बलवान से बलाएँ रहती हैं सदा दूर. तो बलवान बनिए, सबसे बड़ा बलवान है एक परमेश्वर उसकी की शरण में आइये जो चाहते हैं आपको मिलेगा, लेकिन उसके नियमों पर चलिए तो सही उसके नियमों का नाम है धर्म, धर्म अब केवल इस्लाम है. बल्कि जब कभी धर्म का नाम कुछ और था तब भी इस्लाम ही था और परमेश्वर भी यही एक था. इसी को जानने का नाम 'ज्ञान' है. इसी ज्ञान से पैदा होता है प्रेम और यही मेरा 'प्रेम संदेस'.
10 टिप्पणियाँ:
जो लोग ख़ुदा को पाना चाहते हैं वे आज़माइश के वक़्त सब्र करना सीखें और सब्र का मतलब है डटे रहना अपने फ़र्ज़ पर.
जब समाज सीधे मार्ग पर जायेगा तो वे कल्याण पा जायेगा.
very-100 nice post
बहुत अच्छा संदेस है
tum nahi sudroge
tum sab ek ho
bhot bed post
मैं पढता ज्यादा हूँ और लिखता हूँ बहुत कम . समय भी कम है हरेक के पास , मेरे पास भी मगर आपकी पोस्ट है शानदार , इसलिए बताना ज़रूरी समझा . शुक्रिया बहुत बहुत .
ईश्वर एक है और उसने मानवता को सदा एक ही धर्म की शिक्षा दी है। उस धर्म की शिक्षा उसने अपनी वाणी वेद के माध्यम से दी और महर्षि मनु को आदर्श
बनाया तो इस धर्म को वैदिक धर्म या मनु के धर्म के नाम से जाना गया और जब
बहुत से लोगों ने वेद को छिपा दिया और इसके अर्थों को दुर्बोध बना दिया
तो उसी परमेश्वर ने जगत के अंत में पवित्र कुरआन के माध्यम से धर्म को
फिर से सुलभ और सुबोध बना दिया है। ईश्वर अपनी वाणी कुरआन में स्वयं कहता
है-
इन्नहु लफ़ी ज़ुबुरिल्-अव्वलीन ।
अर्थात बेशक यह कुरआन आदिग्रंथों में है।
इस ज़मीन पर ‘वेद‘ सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ हैं।
वेद सार ब्रह्म सूत्र है-
एकम् ब्रह्म द्वितीयो नास्ति , नेह , ना , नास्ति किंचन ।
अर्थात ब्रह्म एक है दूसरा नहीं है, नहीं है, नहीं है, किंचित भी नहीं है।
Nice post.
'‘सत्यमेव जयते‘ साकार होगा परलोक में
‘जो भी भले काम करके आया उसे उसकी नेकी का बेहतर से बेहतर बदला और अच्छे से अच्छा अज्र (बदला) मिलेगा और उस दिन की दहशत से उनको अमन में रखा जाएगा। और जो कोई भी अपने काले करतूत के साथ आएगा, ऐसों को औंधे मुंह आग में झोंक दिया जाएगा और कहा जाएगा कि तुम्हारे बुरे कामों की क्या ही भारी सज़ा से आज तुमको पाला पड़ गया है।
(कुरआन, 28, 89 व 90)
I read this article and I feel it very nice.
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