tag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post8729591543882418667..comments2023-08-07T00:38:33.305-07:00Comments on प्रेम संदेस: Namaz for unity आदरणीय भाई पी.सी.गोदियाल जी ! क्या हिन्दू भी नमाज़ अदा कर सकते हैं सदभावना की मिसाल कायम करने के लिए ? EjazEjaz Ul Haqhttp://www.blogger.com/profile/09008347253388849680noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-89855263926495747192010-10-20T00:38:18.263-07:002010-10-20T00:38:18.263-07:00Accha Laga, Aur Bilkul Padh sakte hain, Kyonki Nam...Accha Laga, Aur Bilkul Padh sakte hain, Kyonki Namaj Padhna koi na to Buri bat hai aur naa hi Is se atankwad failta haiTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-39711294390389907112010-10-19T20:45:19.990-07:002010-10-19T20:45:19.990-07:00क्या कृषण जन्म भूमि की वैल्यू कम है राम जन्म भूमि ...क्या कृषण जन्म भूमि की वैल्यू कम है राम जन्म भूमि से ?<br />@ आदरणीय पी.सी.गोदियाल जी !<br />1 . राष्ट्रवाद पर हम ईमान तो ले आते लेकिन राष्ट्रवादियों जैसे काम हम कर नहीं सकते, राष्ट्रवादी बहुत अरसे से कह रहे हैं कि यदि मुसलमान बाबरी मस्जिद पर से अपना दावा छोड़ दें तो काशी और बनारस की मस्जिदों पर से हम अपना दावा छोड़ देंगे। (?)<br />बनारस और काशी की मस्जिदों पर से दावा क्यों छोड़ देंगे ?<br />क्या कृषण जन्म भूमि की वैल्यू कम है राम जन्म भूमि से ?<br />या फिर शिव जी की वैल्यू कम है राम चन्द्र जी से ?<br />और किस ने हक़ दिया सत्ता के इन दलालों को अपने देव मंदिरों की सौदेबाज़ी करने का ?<br />अपने राष्ट्रगौरव के प्रतिक पुरुषों के स्थानों की सौदेबाज़ी करने वाले तथाकथित राष्ट्रवादियों के चिंतन को हम स्वीकार कैसे कर सकते हैं ?<br />आज यह अपने देवता और अपने समाज को धोखा दे रहे हैं, और कल यह हमें भी देंगे, अगर हम इनके पीछे चले तो.<br />2 . सह अस्तित्व के लिए मौलाना हुसैन अहमद मदनी का आदर्श काफ़ी है, वे एक मुस्लमान थे लेकिन देश के विभाजन के खिलाफ़ थे. जबकि बहुत काल पहले पांडव देश के विभाजन की मांग कर चुके हैं और वे मुस्लमान नहीं थे . ज़मीन का बटवारा रोक देना राष्ट्रवाद के बस का नहीं है. यह तो तभी रुकेगा जब भाई और भाई के बीच प्यार बढ़ेगा,आप हमारे भाई हैं इस में कुछ शक नहीं है और हम दोनों का मालिक भी एक ही है इसमें भी कुछ शक नहीं है. जिसमे कुछ शक न हो उसमें तो आप यक़ीन कीजिये बस यही है मेरा प्रेम संदेस.Ejaz Ul Haqhttps://www.blogger.com/profile/09008347253388849680noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-74041211450340398942010-10-19T09:40:18.197-07:002010-10-19T09:40:18.197-07:00शरीफ़ खान सहाब, यही तो मुसलमानों की संकुचित मानसिक्...शरीफ़ खान सहाब, यही तो मुसलमानों की संकुचित मानसिक्ता है कि वे सिर्फ़ मस्जिद तक ही सिमट कर रह जाते है ! देश उनके लिये गौण हो जाता है ! अगर यही बात हिन्दु कहे कि जिस देश मे आदिकाल से उनकी आस्थाये है, उस देश पर सिर्फ़ हिन्दुओ का ही हक है, तो आप क्या कहेगे ?पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-77904747606801939502010-10-19T09:34:16.044-07:002010-10-19T09:34:16.044-07:00सर्वप्रथम इजाज भाई इस नाचीज की टिप्पणी को इतनी अहम...सर्वप्रथम इजाज भाई इस नाचीज की टिप्पणी को इतनी अहमियत देने हेतु आपका शुक्रिया अदा करना चहुंगा, साथ ही डां जमाल सहाब का भी शुक्रिया अदा करुंगा जिनके अथक प्रयास से मे आपके इस लेख तक पहुंचा ! और साथ ही उन्हे यह भी सन्देश देना चाहुंगा कि आपका यह आरोप गलत है कि मैं अपनी टिप्पणी देकर वापस चला आया ! मैं कहुंगा कि आप भी इस बात को ऐप्रिसियेट करेंगे कि एक ब्लोगर हर वक्त इस ब्लोग जगत पर तो चिपका नही रह सकता!<br /><br />अब हकनामा के उस लेख और उस पर मौजूद ब्लोगरों , पाठकों की टिप्प्णियों के बारे मे सिर्फ़ इतना कहुंगा कि दूसरे पर आरोप लगाना बहुत आसान काम है मगर क्या आप लोगो ने मेरी उस बात पर मनन किया जिस्का जिक्र मैंने अपनी टिप्पणी मे किया ? एक साधारण सा सवाल जरा इमानदारी से उत्तर ढूढियेगा; कोइ एक वाक्या इन पिछले ६० सालों का बतायिये जिसमे अकारण ही आर एस एस ने मुस्लमानो के खिलाफ़ बोली हो ? यह मत भूलिये कि आर एस्स एस्स राष्ट्रवाद कीबात करता है, जबकि मुस्लिम संग्ठन सिर्फ़ धर्म की !<br />खैर, ज्यादा मुह मियां मिठ्ठु बनने की आदत नही है इस लिये यहां सिर्फ़ इतना ही कहुंगा कि नमाज की बात छोडिये, सिर्फ़ इतना बताईये कि क्या मुस्लमान भाइ इस देश की धार्मिक संरचना को ध्यान मे रख कर सह अस्तित्व और सहिश्णुता के लिये धर्म वाद छोड राष्ट्रवाद अपना सकते है ?पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-79897605905911261512010-10-19T09:33:35.524-07:002010-10-19T09:33:35.524-07:00सर्वप्रथम इजाज भाई इस नाचीज की टिप्पणी को इतनी अहम...सर्वप्रथम इजाज भाई इस नाचीज की टिप्पणी को इतनी अहमियत देने हेतु आपका शुक्रिया अदा करना चहुंगा, साथ ही डां जमाल सहाब का भी शुक्रिया अदा करुंगा जिनके अथक प्रयास से मे आपके इस लेख तक पहुंचा ! और साथ ही उन्हे यह भी सन्देश देना चाहुंगा कि आपका यह आरोप गलत है कि मैं अपनी टिप्पणी देकर वापस चला आया ! मैं कहुंगा कि आप भी इस बात को ऐप्रिसियेट करेंगे कि एक ब्लोगर हर वक्त इस ब्लोग जगत पर तो चिपका नही रह सकता!<br /><br />अब हकनामा के उस लेख और उस पर मौजूद ब्लोगरों , पाठकों की टिप्प्णियों के बारे मे सिर्फ़ इतना कहुंगा कि दूसरे पर आरोप लगाना बहुत आसान काम है मगर क्या आप लोगो ने मेरी उस बात पर मनन किया जिस्का जिक्र मैंने अपनी टिप्पणी मे किया ? एक साधारण सा सवाल जरा इमानदारी से उत्तर ढूढियेगा; कोइ एक वाक्या इन पिछले ६० सालों का बतायिये जिसमे अकारण ही आर एस एस ने मुस्लमानो के खिलाफ़ बोली हो ? यह मत भूलिये कि आर एस्स एस्स राष्ट्रवाद कीबात करता है, जबकि मुस्लिम संग्ठन सिर्फ़ धर्म की !<br />खैर, ज्यादा मुह मियां मिठ्ठु बनने की आदत नही है इस लिये यहां सिर्फ़ इतना ही कहुंगा कि नमाज की बात छोडिये, सिर्फ़ इतना बताईये कि क्या मुस्लमान भाइ इस देश की धार्मिक संरचना को ध्यान मे रख कर सह अस्तित्व और सहिश्णुता के लिये धर्म वाद छोड राष्ट्रवाद अपना सकते है ? दूसरो को उपदेश तो सभी दे देते है लेकिन क्या कभी अप ने खुद के गिरेवान मे झांक पाते है ?पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-9873142048668539992010-10-19T09:21:55.131-07:002010-10-19T09:21:55.131-07:00या फिर तौहीद के इल्म से भी कोरे हैं जैसे कि हाशिम ...या फिर तौहीद के इल्म से भी कोरे हैं जैसे कि हाशिम अंसारी साहब और उनके साथ नज़र आने वाले तथाकथित मुस्लिम धर्मगुरु.<br /><br />जब कोई मुसलमान मस्जिद बनवाने के लिए ज़मीन देता है तो उसी वक़्त से उस ज़मीन पर से उसका हक ख़त्म हो जाता है और वह ज़मीन मस्जिद की हो जाती है. अब अगर ज़मीन देने वाला शख्स भी चाहे तो किसी समझोते के तहत उस ज़मीन को या उसके कुछ हिस्से को किसी दूसरे मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता. हाशिम अंसारी साहब का मस्जिद के लिए मुक़दमा लड़ना अच्छी बात थी लेकिन मस्जिद की पूरी ज़मीन पर या उसके कुछ हिस्से पर समझोते की बात करने का हाशिम अंसारी साहब या कोई संस्था या पूरे देश के मुसलमान भी हक नहीं रखते क्योंकि मस्जिद पर किसी एक कौम का या किसी एक मुल्क का हक न होकर सारी दुनिया के मुसलमानों का हक होता है.Sharif Khanhttps://www.blogger.com/profile/03078524001055043871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-39059863601050507772010-10-19T08:31:38.845-07:002010-10-19T08:31:38.845-07:00बुलंद ख़याल है आपका , आप जैसा ही मैं भी हूँ .बुलंद ख़याल है आपका , आप जैसा ही मैं भी हूँ .बुलंद ख़यालhttp://husainiat.blogspot.com/2010/10/blog-post_19.htmlnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-35176877935796413892010-10-19T08:28:06.658-07:002010-10-19T08:28:06.658-07:00आपने अच्छा सवाल उठाया है , लेकिन इसका जवाब कौन देन...आपने अच्छा सवाल उठाया है , लेकिन इसका जवाब कौन देने के लिए आएगा कौन ?<br />ये लोग सिर्फ ऐतराज़ करना जानते हैं , बस .हक़ीक़तhttp://www.islamic.blogspot.com/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-7006312230161886532010-10-19T08:12:23.956-07:002010-10-19T08:12:23.956-07:00Nice post.Nice post.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-92233669593103428132010-10-19T08:11:43.253-07:002010-10-19T08:11:43.253-07:00ऐजाज़ उस चराग़ ए हिदायत का है यही
रौशनतर अज़ सहर है ...<b>ऐजाज़</b><a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/10/ram-in-muslim-poetry-first-beam.html" rel="nofollow"> उस चराग़ ए हिदायत का है यही</a><br /><br />रौशनतर अज़ सहर है ज़माने में शाम ए हिन्दDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-58064043184210549012010-10-19T03:56:15.025-07:002010-10-19T03:56:15.025-07:00thank youthank youFariq Zakir Naikhttps://www.blogger.com/profile/17732243923090611817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2119986589184205534.post-47755888068198148142010-10-19T03:55:39.268-07:002010-10-19T03:55:39.268-07:00good postgood postFariq Zakir Naikhttps://www.blogger.com/profile/17732243923090611817noreply@blogger.com